Shri Guru Jambheshwar Shabdvani - Shabd 8 | श्री गुरु जम्भेश्वर शब्दवाणी भावार्थ : (शब्द 08)

Shri Guru Jambheshwar Shabdvani Shabd 8

Shri Guru Jambheshwar Shabdvani Shabd 8


श्री गुरु जम्भेश्वर शब्दवाणी भावार्थ : (शब्द 08)

 ओझ्म् सुण रे काजी सुण रे मुल्ला, सुण रे बकर कसाई। 

भावार्थ- भावार्थ-बकरी आदि निरीह जीवों की हत्या करने वाले कसाई रूपी काजी, , मुल्ला तुम लोग मेरी बात को ध्यान पूर्वक श्रवण करो।

किणरी थरपी छाली रोसो, किणरी गाडर गाई।

किस महापुरूष पैगम्बर ने यह विध्धान बनाया है कि तुम काजी मुल्ला मुसलमान या हिन्दू मिलकर या अलग-अलग इन बेचारी भेड़-बकरी और माता तुल्य गऊ के गले पर छुरी चलावो अर्थात् ऐसा विधान किसी ने नहीं बनाया तुम मनमुखी हो तथा अपना दोष छिपाने के लिये किसी महापुरूष को बदनाम मत करो।

सूल चुभीजै करक दुहैली, तो है है जायों जीव न घाई।

यदि तुम्हारे शरीर में कांटा चुभ जाता है तो भी दर्द असह्य हो जाता है फिर बेचारे जन्मे जीव ये भी तो शरीर ध्धारी है इनके गले पर छुरी चलाते हो कितना कष्ट होता है। सभी प्राणी जीना चाहते है मृत्यु भयंकर है, , उस दुखदायी अवस्था में इन मूक प्राणियों को आप पहुंचा देते है इससे बढ़कर और क्या कष्ट होगा, यही बड़े दुख की बात है।

थे तुरकी छुरकी भिस्ती दावों, खायबा खाज अखाजूं।

आप लोग मुसलमान है और हाथ में छुरी रखते है तथा अखाद्य मांस आदि का खाना खाते है फिर भी स्वर्ग में जाने का दावा करते है, यह असंभव है।

चर फिर आवै सहज दुहावै, तिसका खीर हलाली।

जो गऊ, भेड़, बकरी आदि वन में घास चरकर आती है और स्वाभाविक रूप से अमृत तुल्य दूध्ध देती है और उस दूध्ध से खीर, घी, दही आदि बनते है वह तो तुम्हारी हक की कमाई है किन्तु-

जिसके गले करद क्यूं सारो, थे पढ़ सुण रहिया खाली।

अन्याय द्वारा उन पर करद की मार क्यों करते हो, , आप लोग कुरान आदि पढ़-सुन कर भी खाली ही रह गये, कुछ भी नहीं समझ सके।


Shri Guru Jambheshwar Shabdvani ( Shabd 7 )


0 टिप्पणियां:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.